भगवान बुद्ध का प्रारंभिक जीवन
भगवान बुद्ध, जिन्हें सिद्धार्थ गौतम के नाम से भी जाना जाता है, का जन्म लगभग 563 ईसा पूर्व में लुम्बिनी, नेपाल में हुआ था। वह एक राजेराजवंशीय परिवार से थे और उनका जीवन वैभव और सुख-साधनों से भरा हुआ था। उनके पिता, राजा शुद्धोधन, चाहते थे कि सिद्धार्थ एक महान सम्राट बने।
बुद्धत्व की प्राप्ति
सिद्धार्थ ने जब जीवन के दुःखों को देखा, तो उन्होंने संन्यास का मार्ग चुना। उन्होंने कई शिक्षकों से शिक्षा ली, लेकिन सत्य की खोज में उन्हें संतोष नहीं मिला। अंततः, वह बोधि वृक्ष के नीचे ध्यान करते हुए ‘बुद्ध’ बने। इसका अर्थ है ‘जागरूकता’ या ‘प्रकाशित व्यक्ति’।
भगवान बुद्ध की शिक्षाएं
भगवान बुद्ध ने दुःख, उसके कारण और उसे समाप्त करने के मार्ग के बारे में अपने अनुयायियों को शिक्षित किया। उनके चार आर्य सत्य और आठfold पथ ने लोगों के मन में गहरे परिवर्तन किए। बुद्ध ने अहिंसा, करुणा और समर्पण के मूल सिद्धांतों पर जोर दिया, जो आज भी लोगों के जीवन में महत्वपूर्ण हैं।