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    गौतम बुद्ध का जन्म और मृत्यु

    गौतम बुद्ध का जन्म गौतम बुद्ध, जिन्हें सिद्धार्थ गौतम के नाम से भी जाना जाता है, का जन्म लगभग 563 ईसा पूर्व लुंबिनी, नेपाल में हुआ। उनका जन्म स्थान एक धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जो आज भी तीर्थयात्रियों और बौद्ध अनुयायियों के लिए एक केंद्र है। गौतम बुद्ध का पूरा नाम सिद्धार्थ गौतम था, और वे शाक्य जनजाति के राजकुमार थे। उनके पिता का नाम राजा शुद्धोधन था और माता का नाम महामाया देवी था। गौतम बुद्ध के जन्म का समय और स्थल ही नहीं, बल्कि उनके परिवार की पृष्ठभूमि भी महत्वपूर्ण है। उनका परिवार एक…

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    बुद्ध कौन था: जीवन और उपदेश

    गौतम बुद्ध का जीवन गौतम बुद्ध, जिनका जन्म लगभग 563 ई.पू. में शाक्य जनजाति के सिद्धार्थ के रूप में हुआ, एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और धार्मिक शख्सियत हैं। उनका जन्म लुंबिनी (वर्तमान नेपाल) में हुआ था और वे एक समृद्ध और राजसी परिवार से संबंध रखते थे। उनके पिता, राजा शुद्धोधन, शाक्य जनजाति के मुख्य थे और सिद्धार्थ के पालन-पोषण में सभी सुख-सुविधाओं का ध्यान रखा गया। राजसी जीवन के बावजूद, सिद्धार्थ की नजरें हमेशा कुछ गहरे सत्य पर थी। प्रारंभिक जीवन में, सिद्धार्थ को हर प्रकार की भौतिक सुख-सुविधाएं प्रदान की गईं, लेकिन किसी भी बाहरी भव्यता से दूर, उन्होंने…

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    शिव की बनी रहे आप पर छाया, पलट दे जो आपकी किस्मत की काया

    भगवान शिव: एक अद्वितीय ऊर्जा का स्रोत भगवान शिव हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं और उन्हें अद्वितीय ऊर्जा का स्रोत माना जाता है। उनके अनेक स्वरूपों में जन-मानस के प्रति अनुकंपा और मार्गदर्शन का समावेश होता है। शिव की शक्ति अनंत और अद्वितीय है, जो भक्तों को ध्यान लगाने, साधना करने और आत्मिक उन्नति की राह पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है। उनका प्रभाव सभी जीवन के क्षेत्रों में व्यापक रूप से व्याप्त है, जो उनके प्रति समर्पण को बढ़ाता है। धार्मिक ग्रंथों में भगवान शिव को प्रशंसा के साथ प्रस्तुत किया गया है,…

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    शिव को ‘वह जो नहीं है’ क्यों कहा जाता है?

    शिव का आध्यात्मिक महत्व शिव, जिन्हें अक्सर ‘वह जो नहीं है’ के रूप में संदर्भित किया जाता है, भारतीय आध्यात्मिकता में एक अद्वितीय स्थान रखते हैं। उन्हें केवल एक देवता के रूप में नहीं देखा जाता, बल्कि उन्हें सृजन, संरक्षण और संहार के त्रिदेव में से एक माना जाता है। उनकी उपासना न केवल व्यक्तिगत भक्ति का प्रतीक है, बल्कि वे निर्वाण और शांति के साधक भी हैं। शिव का आध्यात्मिक महत्व उनके गुणों और अस्तित्व के पारलौकिक पहलुओं के माध्यम से प्रकट होता है। शिव के अनेक नाम और रूप हैं, जैसे महादेव, नटराज, भैरव, और रुद्र, जो उनकी…

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    धर्म की स्थापना और अधर्म का विनाश: भगवान का अवतार

    भगवान का अवतार: एक आवश्यक सिद्धांत भगवान का अवतार एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है, जो भारतीय धार्मिकता में गहराई से निहित है। जब समाज में अधर्म का प्रभाव बढ़ जाता है और धर्म का ह्रास होता है, तब भगवान स्वयं को प्रकट करते हैं ताकि समाज में संतुलन और व्यवस्था स्थापित कर सकें। यह अवधारणा पुरातन धार्मिक ग्रंथों में स्पष्ट रूप से उल्लिखित है, जिसमें कहा गया है कि भगवान अधर्म के विनाश और धर्म की पुनर्स्थापना के लिए अवतरित होते हैं। शास्त्रों के अनुसार, भगवान के अवतार के प्रमुख कारणों में से एक यह है कि सामाजिक एवं नैतिक भ्रष्टाचार…

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    आदियोगी शिव: भारतीय संस्कृति में उत्कृष्टता और ज्ञान का प्रतीक

    आदियोगी शिव का परिचय आदियोगी शिव, जिसे हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण देवता माना जाता है, ज्ञान, तपस्या और समर्पण का प्रतीक है। भारतीय संस्कृति में आदियोगी शिव का अस्तित्व न केवल धार्मिक मान्यता के रूप में है, बल्कि यह विविध सांस्कृतिक, दार्शनिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोणों में गहराई से मौजूद है। उनके कई रूप हैं, जिनमें नटराज, त्रिनेत्र और भैरव शामिल हैं। प्रत्येक रूप की अपनी अलग कथा और प्रतीकात्मकता है जो उच्चतम ज्ञान और वर्षों की साधना को दर्शाता है। नटराज का रूप शिव का सांगीतिक और नृत्यात्मक स्वरूप है, जो सृष्टि और विनाश के चक्र को दर्शाता है।…